स्पंदन पारमार्थिक एवं उन्नयन शिक्षा समिति एक जन कल्याण के कार्यों कि लिए मध्य भारत में एक बहु चर्चित नाम है । जो कि जन साधारण के उद्धार के लिए उन्हें धर्म एवं पूजन द्वारा परमात्मा से जोड़कर उन्हें जीवन कि भिन्न भिन्न कष्टों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है ।
साथ ही समिति ज़रूरतमंदों की हर सम्भव सहायता कर उनके जीवन स्तर का सुधार करती है ।
आध्यात्मिकता का अर्थ मात्र पूजा या पाठ गृहशांति से नहीं है ना ही इसका तात्पर्य यंत्र या तंत्र से है और ना ही शक्ति को ताबीज, अंगूठी, मंत्र या किसी साधन, माला इत्यादि से परिमापित किया जा सकता है। इसका वास्तविक अर्थ है देवाधिदेव की परम शक्ति एवं उनकी असीम कृपा एवं परम पिता परमेश्वर द्वारा प्रदत्त अलौकिक दिव्य रश्मियों के अनुभव से उसकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अनुभूति कराना है। मेरी सदैव यही भावना रही कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को परम पिता परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हो । उनकी शक्ति का व्यापक प्रयोग हो जिससे सर्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो। ईश्वर के प्रति ईमानदार समर्पण एवं संपूर्ण निष्ठा ही समस्त प्रकार की आधि, व्याधि, संकट बाधा या परेशानियों से मुक्तहोने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
स्पंदन पारमार्थिक एवं सामाजिक उन्नयन समिति का मूल उद्देश्य समाज सेवा ही है। इसके अन्तर्गत संपूर्ण समाज के लोगों में व्याप्त अंधकार को दूर करके उनमें ईश्वरीय भक्ति की लौ जागृत करना जो कि भारतीय धर्म, संस्कृति, सभ्यता एवं परिवेश के अनुरूप होकर सामाजिक, राष्ट्रहित एवं उसकी एकता और अखण्डता को बनाये रखना है। स्पंदन पारमार्थिक एवं सामाजिक उन्नयन समिति के अन्य कार्यक्षेत्रों के विभिन्न धार्मिक स्थलों के व्यापक विकास हेतु उनके वास्तु धर्माचार्य, धर्मगुरु, साधु-संतों या अन्य विद्वानों की विभिन्न शारीरिक व भौगोलिक बाधाओं का निवारण कर बहु उपयोगी आध्यात्मिक साहित्य उपलब्ध कराना व समाज के जरूरतमंदों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराना जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
संस्था का मुख्य उद्देश्य समाज के कल्याण कि लिए लोगों को उनके विकास के लिए आवश्यक धर्म करम का विस्तृत ज्ञान देकर उनकी यथा सम्भव सहायता करना है।
संस्था सामाजिक कल्याण के लिए सभी प्रकार के सेवा कार्यक्रम आयोजित कर जन समूह को लाभान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस महा अभियान में हमारे साथ स्वयं को जोड़कर अन्य लोगों को सन्मार्ग पर चलने हेतु अनुप्रेरित करें।
गुरु शब्द बहुत बड़ा है एक मानव पूर्ण रूप से उसकी महिमा का वर्णन नहीं कर सकता हैं. ईश्वर से उच्च पद प्राप्त गुरु ही संसार व ईश्वर का ज्ञान करवाता हैं. एक सच्चा गुरु अपने शिष्य को सही पथ दिखाता हैं. जीवन में किसी लक्ष्य की साधना के लिए गुरु का होना नितांत अनिवार्य हैं. गुरु भक्ति एक साधक को अन्धकार से ज्ञान रुपी प्रकाशमान संसार में ले जाती हैं.
शाब्दिक रूप से गुरु शब्द दो शब्दों गु तथा रू से मिलकर बना हैं. गु का अर्थ अज्ञान अथवा अन्धकार से है जबकि रू का आशय ज्ञान व प्रकाश से हैं. इस तरह ज्ञान व अज्ञान के बीच का अंतर गुरु ही मिटाते हैं. समाज के पथ प्रदर्शन एवं प्रगति में गुरुओं का बड़ा महत्व हैं. सच्ची गुरु भक्ति व्यक्ति के सभी उद्देश्यों को पूर्ण करवाती हैं.