मन की शान्ति और सुकून के लिए
जीवनको सुचारु चलाने के लिए
सच्ची श्रद्धा और भक्ति के लिए
क्या ये सिद्धी साधना चमत्कार - वरदान - श्राप इत्यादि अलौकिक घटनाओं का इंसान के दैनिक क्रियाकलापों में कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दखल रहता है? या इनसे व्यक्ति विशेष के भाग्य का परिमार्जित परिणाम का स्वरूप बदल सकता है। यदि नहीं, तो फिर इन सबके अस्तित्व के आखिर क्या मायने है ? और वास्तव में इनका मनुष्य की दैनिक जीवन की गतिविधियों में प्रभाव अगर होता है तो आखिर किस तरह ?
मैं स्वयं इन अलौकिक अवस्थाओं से एक नहीं कई बार रूबरू हुआ हूँ। कई-कई बार अलौकिक घटनाओं का मैं स्वयं साक्षी हूँ। एक नहीं हजारों बार उन दिव्य रश्मिओं की तरंगों ने मेरे स्वयं के अन्तर्मन में स्पंदन पैदा किये है। कई दिव्य संकेतों ने अनेको बार मेरे मन मस्तिष्क पर थाप दी है और कई-कई बार मेरे अल्प दिमाग की नसों को झंझोड़कर भी रख दिया है। इन सबका रहस्य जानने हेतु मेरा व्याकुल मन बैचेन है कि आखिर कब वो परम आनंद की सुमधुर मिलन की बेला मेरे द्वार पर दस्तक देगी, जबकि मेरे जीवन की संपूर्ण श्वाँसों एवं धड़कनों एवं मेरी धमनियों में अनवरत बहने वाले लहु के संचालन के स्वामी परमपिता परमेश्वर से मेरा रूबरू साक्षात्कार हो, क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप से अनेकों बार उस परमश्रद्धेय परमपिता ने अपनी दिव्य मौजुदगी का अहसास कराया है परन्तु प्रत्यक्ष दीदार के इन्तजार में मेरी ये पलकें अब तक बैचेन हैं ।
जैसे-जैसे दुनिया विकास के नये आयाम से प्रतिदिन रुबरु होती जा रही है वैसे-वैसे इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी अत्यंत व्यस्त और दौड़धूप से परिपूर्ण, भागमभाग वाली हो गई है। दिनभर कार्यो को अंजाम देने के बाद भी कई बार शाम या रात्रि को याद आता है। कि अमुक जरूरी काम तो छूट ही गया है या तो काम जो सबसे महत्वपूर्ण था वो तो अधूरा ही रह गया है। ऐसा हम सबके साथ लगभग प्रतिदिन या कई कई बार होता है। क्या आप जानते हैं कि इसकी असल वजह क्या है और ऐसा क्यों होता हैं?
स्पंदन परमार्थिक एवं सामाजिक उन्नयन समिति का मूल उद्देश्य समाज सेवा ही है | इसके अंतर्गत सम्पूर्ण समाज के लोगो में व्याप्त अंधकार को दूर करके उनमें ईश्वरीय भक्ति की लौ जाग्रत करना जो की भारतीय धर्म, संस्कृति, सभ्यता एवं परिवेश के अनुरूप होकर समाजहित, राष्ट्रहित एवं उसकी एकता और अखंडता को बनाये रखना है|
वास्तु का ज्योतिष से गहरा रिश्ता है। ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि मनुष्य के जीवन पर नवग्रहों का पूरा प्रभाव होता है। वास्तु शास्त्र में इन ग्रहों की स्थितियों का पूरा ध्यान रखा जाता है। वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार भवना का निर्माण कराकर आप उत्तरी ध्रुव से चलने वाली चुंबकीय ऊर्जा, सूर्य के प्रकाश में मौजूद अल्ट्रा वायलेट रेज और इन्फ्रारेड रेज, गुरुत्वाकर्षण शक्ति तथा अनेक अदृश्य ब्रह्मांडीय तत्व जो मनुष्य को प्रभावित करते हैं के शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्टकारी प्रभावों से अपनी रक्षा भी कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र में दिशाओं का सबसे अधिक महत्व है। सम्पूर्ण वास्तु शास्त्र दिशाओं पर ही निर्भर होता है क्योंकि वास्तु की दृष्टि में हर दिशा का अपना एक अलग ही महत्व है।
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 3जुलाई २०२3 को उज्जैन मे मनाया गाया। इस अवसर पर शिष्यों द्वारा गुरुजी को पर्यावरण जागरूकता के लिए तुलसी के पौधे एवं थैली का वितरण किया गया।।
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 3 जुलाई २०२3 को उज्जैन मे मनाया गाया। इस अवसर पर शिष्यों द्वारा गुरुजी को 24 गिफ्ट भेंट किए गए।
१९ जुलाई २०२२ को उज्जैन में शिष्यों द्वारा धूम धाम से मनाया गाया। इस अवसर पर गुरुजी के सम्मान मे भजन संध्या का आयोजन जवलंत जी के द्धारा किया गया ।
स्वयंसेवक
धार्मिक स्थल जीर्णोद्धार
सामाजिक कार्यक्रम
स्पंदन परमार्थिक एवं सामाजिक उन्नयन समिति का मूल उद्देश्य समाज सेवा ही है| इसके अंतर्गत सम्पूर्ण समाज के लोगो में व्याप्त अंधकार को दूर करके उनमें ईश्वरीय भक्ति की लौ जाग्रत करना जो की भारतीय धर्म, संस्कृति, सभ्यता एवं परिवेश के अनुरूप होकर समाजहित, राष्ट्रहित एवं उसकी एकता और अखंडता को बनाये रखना है|
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 3 जुलाई २०२3 को उज्जैन मे मनाया जायेगा। इस अवसर पर शिष्यों द्वारा गुरुजी को २४ गिफ्ट भेंट किए जायेगेए।
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 3जुलाई २०२३ को उज्जैन मे मनाया जाए गा। इस अवसर पर शिष्यों द्वारा गुरुजी को २४ गिफ्ट भेंट किए जायेगे
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 21 जुलाई २०२4को उज्जैन मे मनाया गाया।
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 21 जुलाई २०२4 को उज्जैन मे सुंदरकांड पाठ के साथ मनाया गया।मनाया गाया। इस अवसर पर शिष्यों द्वारा गुरुजी को 22 गिफ्ट भेंट किए गए।
गुरुपूर्णिमा महोत्सव 21 जुलाई २०२4 गुरुजी संजय जी जैन k सम्मान मैं मनाया गयाको उज्जैन मे मनाया गाया। इस अवसर पर शिष्यों द्वारा गुरुजी को 22 गिफ्ट भेंट किए गए।